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लेखनी कहानी - लंदन का हाईगेट कब्रिस्तान में किसी मुर्दे को दफनाया नहीं जाता हैं. - डरावनी कहानियाँ

लंदन का हाईगेट कब्रिस्तान में किसी मुर्दे को दफनाया नहीं जाता हैं.  
- डरावनी कहानियाँ

 लंदन का हाईगेट कब्रिस्तान में किसी मुर्दे को दफनाया नहीं जाता हैं.  

 आत्माएं, पिशाच और प्रेत पूरी तरह स्वतंत्र हैं. वह किसी को ना तो दिखाई देते हैं और ना ही उन्हें कहीं भी आने-जाने से रोका जा सकता है. वह जब चाहे इंसानी दुनिया को अपना ठिकाना बना सकते हैं और अगर कोई उनकी राह में बाधा पहुंचाने का काम करता है तो वह उसे अपने उद्देश्य में सफल नहीं होने देते. खंडहर हो चुकी इमारतों और श्रापित जगहों पर तो रूहों का कब्जा होता ही है लेकिन इंसानी जीवन का अंतिम पड़ाव कहे जाने वाले कब्रिस्तान में इनका आना-जाना कुछ ज्यादा होता है. वह मुर्दों के शरीर के पास घूमते हैं, उनके शरीर को घंटों निहारते हैं और चैन की नींद सो रहे उन शवों को जो भी परेशान करने की कोशिश करता है वह उसकी जिंदगी को जहन्नुम से भी बदतर बना देते हैं.  

 ऐसा ही एक स्थान है लंदन का एक कब्रिस्तान, जहां वैम्पायर अर्थात पिशाचों ने अपना डेरा जमाया हुआ है.  

 लंदन स्थित हाईगेट कब्रिस्तान में स्थानीय लोगों ने हर रात पिशाचों को अपना डेरा जमाए देखा है. वह रात के समय खून की तलाश में इधर-उधर घूमते हैं और अपनी राह में आने वाले हर इंसान को अपना भोजन बना लेते हैं.  

 हाईगेट कब्रिस्तान के कई गेट हैं, यह वही स्थान है जहां दास कैपिटल के रचयिता कार्ल मार्क्स को दफ्न किया गया था. वर्ष 1839 में जब लंदन अत्याधिक मृत्यु दर जैसे हालातों से जूझ रहा था तभी इस कब्रिस्तान को बनाने का काम शुरू किया गया था. लंदन में रोज काफी लोग मर रहे थे जिन्हें दफनाने का स्थान नहीं मिल रहा था. लोग अपने प्रियजनों को घरों के आसपास दफनाने के लिए मजबूर थे लेकिन ऐसा करने से बदबू और अन्य बीमारियां फैलने लगी थीं. इसी समस्या को हल करने के लिए हाईगेट कब्रिस्तान का निर्माण करवाया गया था.  

 हाईगेट कब्रिस्तान में ना जाने कितने मृत लोगों के शरीर दफ्न हैं, जिनकी रूहें अकाल मृत्यु के कारण इस स्थान पर अपना डेरा जमाए हुए हैं. ऐसा नहीं है कि यहां आत्माओं और पिशाचों को किसी खास दिन ही देखा जाता है बल्कि यहां तो हर रात एक खौफनाक खेल खेला जाता है जिसके गवाह कई बार स्थानीय लोग बन चुके हैं लेकिन इस खेल को देखने के बाद उनके साथ कोई ना कोई हादसा भी जरूर होता है, जिसकी वजह से कभी वह इस बात का जिक्र नहीं कर पाए कि आखिर उन्होंने वहां ऐसा देखा क्या था.  

 1970 की बात है जब स्‍कूल में पढ़ने वाली दो छात्राओं ने यह दावा किया था कि उन्होंने कब्रिस्‍तान के किनारे पर वैम्पायर को देखा है. इस घटना के बाद वहां घूम रहे एक प्रेमी जोड़े ने भी एक वैम्‍पायर को देखने की बात स्वीकार की. उनका कहना था कि कब्रिस्तान के तीसरे गेट के पास उन्होंने एक अत्याधिक लंबे-चौड़े आदमी को देखा था जो एक इंसान का खून पी रहा था. उसे देखकर उनके होश उड़ गए और वो भागने लगे. वह वैम्पायर धीरे-धीरे उनके पास आने लगा लेकिन किसी तरह वो अपनी जान बचाकर भागे.  

 इस घटना के बाद कई अन्य लोगों ने भी वैम्पायर को घूमते-फिरते देखा है इसीलिए आज इस स्थान पर किसी शव को दफनाया नहीं जाता और ना ही इस स्थान पर कोई आता-जाता है.

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